गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के सहयोग से राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी द्वारा आयोजित 17वीं कृषि विज्ञान कांग्रेस 20-22 फरवरी 2025 तक आयोजित की गई थी। कांग्रेस का उद्घाटन उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल और गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने किया। कांग्रेस में वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, छात्रों और प्रगतिशील किसानों की प्रमुख सभा ने भाग लिया। माननीय राज्यपाल ने बताया कि कांग्रेस के वैज्ञानिक विचार-विमर्श किसानों की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आम और राज्य दोनों के बजट किसानों की समृद्धि और कल्याण बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। डॉ. हिमांशु पाठक, अध्यक्ष, एनएएएस, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक, (आईसीएआर) ने किसानों से आईसीएआर और एसएयू द्वारा विकसित नई तकनीकों को अपनाने की अपील की। कांग्रेस के संयोजक और कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने जीबीपीयूएटी पंतनगर द्वारा विकसित बीजों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान ने भी कांग्रेस में भाग लिया और अपने किसानों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। इस संबंध में, एससीएसपी कार्यक्रम के 15 किसानो को एवं टीएसपी के तहत गोद लिए गए 12 किसानो को गाँव सुंदराया, कुल्हारा, कोफ्ती, समाया, इछाला, फटयू, पाटा, बमरार, थाटयौ और डामटा को पंतनगर भ्रमण के लिए ले जाया गया । सभी किसानों ने विभिन्न संस्थानों और निजी कंपनियों की प्रदर्शनी और स्टालों का दौरा किया और कृषि के विभिन्न पहलुओं पर ज्ञान प्राप्त किया। किसानों ने बागवानी अनुसंधान केन्द्र, पुष्प अनुसंधान केन्द्र, बीज उत्पादन केन्द्र, सब्जी अनुसंधान केन्द्र, मशरूम केन्द्र, फसल अनुसंधान केन्द्र, कृषि वानिकी अनुसंधान केन्द्र जैसे विभिन्न अनुसंधान केन्द्रों का भी दौरा किया और इन केन्द्रों द्वारा किए जा रहे अनुसंधान के बारे में ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने मछली बीज उत्पादन इकाई (हैचरी), पशुधन केंद्र, कुक्कुट पक्षी उत्पादन केंद्र का भी दौरा किया और इन केंद्रों द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। किसानों ने विश्वविद्यालय के विभिन्न वैज्ञानिकों के साथ भी बातचीत की और अपने कृषि क्षेत्रों में उनके सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्र के लिए विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नई फसल किस्मों और प्रौद्योगिकियों के बारे में भी पूछताछ की। किसान विभिन्न अनाज फसलों, सब्जी फसलों और औषधीय पौधों के पैकेज और प्रथाओं को जानने में भी रुचि ली । कुछ किसानों ने पशुधन, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन में अपनी रुचि दिखाई । किसानो ने विभिन्न मृदा जल संरक्षण प्रौद्योगिकियों जैसे ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिस्टम का भी भ्रमण किया । इस सम्मेलन में भाग लेने से गोद लिए गए किसानों को कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकियों के बारे में जानने में मदद मिलेगी।