भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और विभिन्न भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के विभिन्न संस्थानों और संगठनों के पेशेवरों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और प्राकृतिक भाषा प्रोसेसिंग (NLP) के अनुप्रयोग पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला 21 मई, 2024 को हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई।
समापन भाषण में, संस्थान के निदेशक डॉ. एम. मधु ने कार्यक्रम के वैज्ञानिकों और पेशेवरों के लिए लाभों पर जोर दिया। उन्होंने अनुसंधान परिणामों को बढ़ाने के लिए आधुनिक उपकरणों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के विवेकपूर्ण उपयोग की वकालत की।
कार्यक्रम के समन्वयकों में से एक और PME और KM इकाई के प्रभागाध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एम. मुरुगनंदम ने प्रभावी सामग्री निर्माण और तेज प्रसार के लिए AI और NLP में संभावित अवसरों की पहचान करने में कार्यशाला की सफलता पर प्रकाश डाला।
इससे पूर्व श्री अशुतोष कुमार तिवारी, उप निदेशक (राजभाषा), भामृजसंसं, देहरादून ने AI और NLP का एक विस्तृत अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने विभिन्न अवधारणाओं, तार्किक कदमों और अंतर्निहित सिद्धांतों को कवर किया, और गति और सटीकता के लिए केंद्रीय प्रसंस्करण इकाइयों (CPU) की बजाय ग्राफिक प्रोसेसिंग इकाइयों (GPU) के उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने डेटाबेस की बजाय डेटासेट, टोकनाइज़ेशन, स्टेमिंग, लेमाटाइजेशन, साभंति और अर्थ संबंधी विश्लेषण, वेक्टराइजेशन और कोडिंग के महत्व पर भी चर्चा की, जो अनुसंधान एवं विकास संगठनों के लिए AI और NLP उपकरणों की प्रभावशीलता में योगदान करते हैं।
कार्यक्रम ने AI और NLP की क्षमता का लाभ उठाते हुए रचनात्मकता और नैतिक विचारों को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया। इसने विभिन्न संदर्भों में ChatGPT-3.5,4.0, BARD, और Gemini जैसे उपकरणों की क्षमताओं पर संक्षेप में चर्चा की।
कुल 95 प्रतिभागियों ने, जिनमें से 80 विभिन्न केंद्रों और अन्य ICAR संस्थानों और संगठनों के ऑनलाइन प्रतिभागी शामिल थे, कार्यशाला में भाग लिया। प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान, प्रतिभागियों ने अपने क्षेत्रों में AI और NLP के विभिन्न गुणों, चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर चर्चा की।