भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने अपना 71वां स्थापना दिवस दिनांक अप्रैल 07, 2024 को मनाया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. जेएस समरा, पूर्व सीईओ, राष्ट्रीय रैनफेड कृषि प्राधिकरण, (एनआरएए) और पूर्व उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, भाकृअनुप, नई दिल्ली थे। उन्होंने समाज, किसानों और संसाधन संरक्षण के लिए संस्थान के महत्व के बारे में बताया, 1994-2000 के दौरान संस्थान में निदेशक के रूप में अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने यह बात स्वीकार की कि बुनियादी ढांचे, अनुसंधान कार्यक्रमों में बड़े पैमाने पर परिवर्तन और सुधार उपलब्धियाँ हुई है। उन्होंने संस्थान के 71वें स्थापना दिवस पर उसके अथक योगदान के लिए संस्थान के मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण की सराहना की ।
डॉ. आरसी श्रीवास्तव, पूर्व कुलपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (आरपीसीएयू), समस्तीपुर, बिहार और डॉ. संजीव चौहान, निदेशक अनुसंधान, डॉ. वाई.एस परमार बागवानी एवं वन विश्वविद्यालय, सोलन, हिमाचल प्रदेश को भी सम्मानित अतिथि के रूप में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. श्रीवास्तव ने संस्थान में प्रशिक्षु छात्र के रूप में अपने छात्र जीवन को स्पष्ट रूप से याद किया तथा भाकृअनुप -केंद्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेयर, अंडम और निकोबार द्वीप समूह के निदेशक बनने तत्पश्चात कुलपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के उप कुलपति बनने को स्मरण किया। उन्होंने ने इस बात पर जोर दिया कि यह संस्थान छात्रों, विद्वानों, किसानों और अधिकारियों की जरूरतों को पूरा करता है।
डॉ. संजीव चौहान ने मृदा जल संरक्षण के महत्व पर बात की तथा पोषक तत्व चक्र, ऑक्सीजन और कार्बन चक्र में संतुलन जो हमारे जंगलों और कृषि को बनाए रखता है उत्पादन उपप्रणालियाँ और वृद्धि और विकास को बढ़ावा देती हैं।
डॉ. एम मधु , निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून संस्थान की समग्र उपलब्धि प्रस्तुत की और वर्तमान और पिछले वर्ष के दौरान अनुसंधान में सुधार की दिशा में नई पहल , प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, किसान कल्याण और सामाजिक विकास के विषय में जानकारी दी। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रतिबद्ध वित्तीय सहायता, संसाधन संरक्षण में ड्रोन का उपयोग और कृषि और भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद की ऐसी अनुसन्धान आउटपुट और परिणामों को बढ़ावा देने के लिए समय पर संस्थागतकरण एवं अन्य नई पहल उपयुक्त रही हैं ।
डॉ. चरण सिंह, विभागाध्यक्ष , मानव संसाधन विकास एवं सामाजिक विज्ञान विभाग एवं कार्यक्रम के आयोजन सचिव ने स्वागत करते हुए मुख्य अतिथियों और प्रतिभागियों को दिन भर चलने वाले कार्यक्रमों का ब्योरा दिया । डॉ पीआर ओजस्वी, संस्थान के वरिष्ठतम जलविज्ञानी ने संस्थान द्वारा जलागम जल विज्ञान और संसाधन संरक्षण पर अनुसंधान की उपलब्धियों के बारे में बताया ।
अंत में, डॉ. एम मुरुगानंदम, प्रभागाध्यक्ष, प्रबंधन एवं पी एम ई प्रकोष्ठ ने मुख्य अतिथि को धन्यवाद दिया तथा प्रतिभागियों, वैज्ञानिकों और अधिकारियों का कार्यक्रम का सफल आयोजन के लिए धन्यवाद किया।
कार्यक्रम के गणमान्य व्यक्तियों में डॉ. सुरेश कुमार, समूह निदेशक, आईआईआरएस, डॉ. एके श्रीवास्तव, निदेशक (सेवानिवृत्त), भाकृअनुप-वीपीएकेएस, अल्मोडा, डॉ. बीएल ध्यानी, प्रधान वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त) और डॉ. एनके शर्मा प्रधान वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त) शामिल थे।
श्री एचएन शर्मा, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान वित्तीय और पोषण संबंधी संस्थान की उपलब्धियों को प्रस्तुत किया । इससे पूर्व प्रगतिशील किसानों ने संस्थान के द्वारा उनकी आजीविका और खाद्य उत्पादन के अवसरों के उत्थान में योगदान पर बात की। कार्यक्रम के दौरान संस्थान के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और महिला कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के 250 वैज्ञानिकों और कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और आमंत्रितों ने भाग लिया। विभिन्न संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, प्रेस और मीडिया से आए अतिथि मीडिया और शिक्षा जगत के अलावा 50 ऑनलाइन प्रतिभागियों. ने समारोह के उद्घाटन में भाग लिया। सांस्कृतिक संध्या और खेल कार्यक्रम आयोजित किये गये।