डॉ.हिमांशु पाठक, माननीय महानिदेशक, भा. कृ. अनु. प. नई दिल्ली तथा सचिव, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग द्वारा 22 जनवरी, 2024 को भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केन्द्र, वासद, गुजरात का दौरा किया। उनके साथ भा॰कृ॰अनु॰प॰-औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय, आनंद, गुजरात के निदेशक डॉ. मनीष दास और डॉ.जगदीश राणे, निदेशक, भा॰कृ॰अनु॰प॰ - केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर, राजस्थान भी उपस्थित थे। भा॰कृ॰अनु॰प॰ - भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केन्द्र, वासद के प्रमुख डॉ. एम.जे. कलेढोणकर ने माननीय महानिदेशक का फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया। उन्होंने निदेशक, भा॰कृ॰अनु॰प॰-औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय और निदेशक, भा॰कृ॰अनु॰प॰ - केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान का भी स्वागत किया। शुरुआत में केंद्र पर चल रही अनुसंधान गतिविधियों तथा किसानों के खेतों पर पहुंची हुई केंद्र की सिद्ध प्रौद्योगिकियों पर विस्तृत चर्चा हुई ।
डॉ. पाठक ने व्यक्तिगत स्टाफ सदस्यों के साथ बात की तथा अनुसंधान केंद्रों के कामकाज में आ रही बाधाओं की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने आश्वासन दिया कि भा॰कृ॰अनु॰प॰ प्रणाली में विभिन्न संस्थानों के तहत अनुसंधान केंद्रों में वैज्ञानिक और तकनीकी पदों को प्राथमिकता पर भरा जाएगा। उन्होंने यह भी इच्छा व्यक्त की अनुसंधान केंद्रों पर कुशल वित्तीय प्रबंधन के लिए भा॰कृ॰अनु॰प॰ संस्थानों के समान वार्षिक बजट अनुमान (बीई) और संशोधित अनुमान (आरई) को अंतिम रूप दिया जाएगा । इसके अलावा, उन्होंने अनुसंधान केंद्रों पर लंबित मुद्दों के समाधान के लिए कॉर्पस फंड के बेहतर उपयोग का प्रस्ताव रखा । उन्होंने विशेष रूप से वैज्ञानिकों को नवीन विचारों का परीक्षण करने के लिए बाहरी वित्त पोषित परियोजनाएं प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने केंद्र में चार महीने का प्रशिक्षण ले रहे बी.टेक छात्रों से बातचीत की और भविष्य में देश की राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करने की सलाह दी। अंत में, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि देश के भीतर भोजन की आदतों और जीवन शैली में बहुत सारे बदलाव हुए हैं और भा॰कृ॰अनु॰प॰ को जलवायु परिवर्तन परिदृश्य के तहत देश की भोजन, वस्त्र और पोषण सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नए युग की प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमृत काल के दौरान 2047 तक देश को विकसित बनाने के लिए राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है ।