भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र, चंडीगढ़ पर बी.टेक. (कृ.अभि.) छात्रों के लिए "मृदा और जल संरक्षण और वाटरशेड प्रबंधन" पर चार सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का दिनांक जुलाई 01, 2024 को उद्घाटन । कुल 32 छात्रों ने प्रशिक्षण के लिए पंजीकरण कराया। जिनमें से 15 छात्र कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सीसीएचएयू, हिसार, हरियाणा से हैं, 10 छात्र कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना, पंजाब से हैं और 07 छात्र कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग से हैं। जोधपुर, राजस्थान। डॉ. मनोज कुमार, वैज्ञानिक (कृषि इंजीनियरिंग) और पाठ्यक्रम समन्वयक ने छात्रों का स्वागत किया और पाठ्यक्रम गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। डॉ. प्रदीप डोगरा प्र. वैज्ञानिक (कृषि अर्थशास्त्र) ने भी छात्रों को मृदा कटाव, भूस्खलन की समस्याओं के बारे में जागरूक किया और इसके संरक्षण पर जोर दिया। केंद्र के प्रमुख डॉ. बृज लाल लाकारिया ने छात्रों को बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों विशेषकर मिट्टी और पानी के संरक्षण के बारे में जानकारी दी, जो पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। उन्होंने शिवालिक क्षेत्र की मिट्टी और जल कटाव की समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रशिक्षण का विकल्प चुनने के लिए छात्रों की सराहना की। कार्यक्रम में केंद्र के सभी वैज्ञानिक और कर्मचारी उपस्थित थे। इस प्रकार मिट्टी और जल क्षरण, मिट्टी और जल संरक्षण उपाय, वाटरशेड प्रबंधन, मिट्टी और जल संरक्षण का अर्थशास्त्र, बागवानी हस्तक्षेप, कृषि वानिकी उपाय, सामुदायिक संगठन और संस्थागत विकास आदि के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए चार सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। कार्यक्रम का समापन डॉ. शर्मिष्ठा पाल, प्रधान वैज्ञानिक (मृदा) एवं सह-समन्वयक द्वारा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।