भाकृअनुप- भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी), देहरादून ने 21-26 अगस्त, 2023 तक केन्या वन अनुसंधान संस्थान (केईएफआरआई), केन्या के वैज्ञानिकों के लिए बांस ऑलोमेट्रिक्स, जल विज्ञान और पर्यावरण मैट्रिक्स पर छह दिवसीय स्टडी टूर एवं एक्सपोजर विजिट कार्यक्रम का आयोजन किया। 22 अगस्त को समारोह का उद्घाटन करते हुए कार्यवाहक निदेशक डॉ. चरण सिंह ने अवनत भूमि के पुनर्वास के लिए संस्थान द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पश्चिमी हिमालय की अवनत बीहड़ भूमि और ढलान वाली भूमि के लिए संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न बांस-आधारित प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की। उन्होंने केईएफआरआई और इनबार के साथ भविष्य के सहयोग पर भी जोर दिया। डॉ. आर. के. सिंह ने ग्रे वाटर का कुशलतापूर्वक उपयोग करते हुए हरे और नीले पानी के संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। डॉ. जेएमएस तोमर, प्रभागाध्यक्ष पादप विज्ञान प्रभाग ने संसाधन संरक्षण और आजीविका सुरक्षा प्रदान करने में कृषि वानिकी और फलों के वृक्षों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने टीएसपी और एससीएसपी कार्यक्रम में पादप विज्ञान प्रभाग द्वारा किए गए कार्यों पर भी प्रकाश डाला। डॉ. गोपाल कुमार ने मृदा और कृषि विज्ञान प्रभाग द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला, जो अवनत भूमि की उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। मुख्य वैज्ञानिक और वन जैव विविधता और पर्यावरण प्रबंधन के प्रभारी डॉ जेम्स नदुफा ने केन्या में भूमि क्षरण की स्थिति पर एक महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की, जिसमें बताया गया कि 62% भूमि वर्तमान में खराब है और अतिरिक्त 21% को बेहद खराब माना जाता है। उन्होंने केन्या में बंजर भूमि के पुनर्स्थापन के लिए बांस की उपयोगिता पर जोर दिया और बांस को बढ़ावा देने के लिए केन्या सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। डॉ. स्टेनली नादिर, वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक और उप क्षेत्रीय निदेशक, ने बांस अनुसंधान कार्यक्रम को बढ़ावा देने में आईआईएसडब्ल्यूसी और केईएफआरआई के संयुक्त कार्य पर जोर दिया।
डॉ. राजेश कौशल ने प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए उन्हें स्टडी टूर के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अवगत कराया कि स्टडी टूर एवं एक्सपोजर विजिट बांस के संसाधन संरक्षण पहलुओं को बढ़ावा देने के लिए एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में दक्षिण-दक्षिण, उत्तर-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग का एक हिस्सा है। उन्होंने अफ्रीकी भागीदारों के क्षमता निर्माण के लिए संस्थान का चयन करने के लिए इनबार का धन्यवाद दिया।
टूर के दौरान, प्रतिनिधियों को डॉ चरण सिंह, डॉ तृषा रॉय और डॉ रमा पाल द्वारा निर्देशित संस्थान संग्रहालय, केंद्रीय प्रयोगशाला और पुस्तकालय के विषय में जांकारी दी गयी। प्रतिनिधियों ने संस्थान संग्रहालय में विभिन्न प्रदर्शनीयों और प्रौद्योगिकियों को देखा, जिससे उन्हें संस्थान के समृद्ध इतिहास और उपलब्धियों में जानकारी मिली। इसके अतिरिक्त, प्रतिनिधियों ने केंद्रीय प्रयोगशाला में मौजूद अत्याधुनिक उपकरणों का निरीक्षण किया, जो अनुसंधान और नवाचार के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं। इसके अलावा, प्रतिनिधियों ने संस्थान पुस्तकालय में पुस्तकों, पत्रिकाओं और अन्य शैक्षणिक संसाधनों के व्यापक संग्रह को देखा, जो एक अनुकूल शिक्षण और ज्ञान प्रसार वातावरण प्रदान करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है।
23 अगस्त को, प्रभारी अधिकारी प्रक्षेत्र डॉ. एम. शंकर ने रिसर्च प्रक्षेत्र सेलाकुई का दौरा संचालित किया, जहां प्रतिनिधियों को कृषि फसलों में उत्पादकता वृद्धि और संसाधन संरक्षण से संबंधित प्रदर्शनों और प्रयोगों से अवगत कराया गया। डॉ. दीपक और श्री यूसी तिवारी ने अपवाह और मिट्टी के नुकसान को मापने के लिए विभिन्न निगरानी उपकरणों से प्रतिनिधियों को अवगत कराया। डॉ. ए. सी. राठौर और डॉ. जे. जयप्रकाश ने पादप विज्ञान प्रभाग में विभिन्न परियोजना गतिविधियों का प्रदर्शन किया, जहां प्रतिनिधियों को विभिन्न कृषि वानिकी और बागवानी-आधारित प्रयोगों से अवगत कराया गया। डॉ. राजेश कौशल ने बांस पर इनबार प्रायोजित परियोजना का दौरा संचालित किया, जहां उन्होंने ऑलोमेट्रिक्स, जल विज्ञान और पर्यावरण मैट्रिक्स पहलू पर काम करने से प्राप्त अपने अनुभवों और अंतर्दृष्टि को साझा किया। इस दौरान बांस में संसाधन संरक्षण के संदर्भ में उत्पादकता, मृदा क्षरण, जल पुनर्भरण, पोषक तत्व चक्रण और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर डेटा संग्रह की कार्यप्रणाली पर भी विस्तार से चर्चा की गई। डॉ जेएमएस तोमर और डॉ अनुपम बड़ ने गुणवत्ता रोपण सामग्री के महत्व पर जोर दिया और जर्मप्लाज्म संग्रह और बांस प्रसार के लिए समर्पित एक उच्च तकनीक नर्सरी पर संस्थान द्वारा संचालित काम का प्रदर्शन किया। प्रतिनिधियों को एस्पायर ओरल हेल्थ केयर लिमिटेड का दौरा करने का भी अवसर मिला, जहां श्री मुर्तुजा मोतीवाला ने बांस टूथब्रश और अन्य बांस-आधारित उत्पादों के व्यावसायिक उत्पादन की जानकारी दी।
24 अगस्त को, प्रतिभागियों ने वन अनुसंधान संस्थान देहरादून का दौरा किया, जहां उन्हें बांस के ऊतक संस्कृति और जैव प्रौद्योगिकी पहलुओं पर शोध का निरीक्षण करने का अवसर मिला। इसके अतिरिक्त, प्रतिनिधियों ने एफआरआई के हर्बेरियम का दौरा किया, जहां उन्हें विभिन्न संरक्षण तकनीकों और विभिन्न बांस प्रजातियों की प्रमुख पहचान विशेषताओं से परिचित कराया गया। प्रतिनिधियों ने वनस्पति प्रसार, संरक्षण और बांस की रखरखाव के बारे में तकनीकी जानकारी भी ली। इसके अलावा, उन्हें बांस इंजीनियरिंग और कागज और लुगदी के उत्पादन पर काम दिखाया गया था।
25 अगस्त को, प्रतिभागियों को जश मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक श्री जय पैन्यूली द्वारा चॉपस्टिक और बांस के स्ट्रॉ बनाने की तकनीकी जानकारी दी। इसके अलावा, प्रतिनिधियों ने हरिद्वार के बुग्गावाला ब्लॉक के गांव नौकराग्रांट में एक वाणिज्यिक बांस बागान का दौरा किया, जहां श्री गुरविंदर सिंह और सुश्री अजीत कौर ने बंबुसा बालकोआ, बंबुसा वल्गरिस और बंबुसा टुल्डा प्रजातियों की सफल खेती के बारे में अपने अनुभव साझा किए। यूबीएफडीबी के प्रबंधक श्री दिनेश जोशी द्वारा उत्तराखंड बांस और फाइबर विकास बोर्ड (यूबीएफडीबी) द्वारा प्रबंधित सामुदायिक प्रसंस्करण केंद्र का दौरा कराया गया। इस टूर के दौरान, प्रतिनिधियों को बांस प्रसंस्करण के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न मशीनों को जानने का अवसर मिला।
26 अगस्त को, प्रतिनिधियों को बांस के बाजार तंत्र का निरीक्षण करने के लिए एक स्थानीय बांस बाजार में ले जाया गया। प्रतिनिधियों को उत्तराखंड राज्य वन विभाग के पूर्व पीसीसीएफ और उत्तराखंड बांस और फाइबर विकास बोर्ड (यूबीएफडीबी) के पूर्व सीईओ श्री एसटीएस लेप्चा से मिलने का सौभाग्य मिला। इस दौरान बांस औद्योगिक विकास, बाजार की गतिशीलता और नीतिगत मामलों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
समापन भाषण में डॉ. राजेश कौशल ने सभी प्रतिनिधियों के आगमन के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने केन्या सरकार, श्री जे दुरई (निदेशक, वैश्विक कार्यक्रम), श्री सेलिम रेजा (क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक), सुश्री संगीता (क्षेत्रीय निदेशक, दक्षिण एशिया), श्री आनंद सुब्रमणि (वित्त अधिकारी) और इनबार को उनके समर्थन के लिए भी धन्यवाद दिया । डॉ. कौशल ने भारत और केन्या में बांस अनुसंधान को बढ़ाने के लिए भविष्य के सहयोग पर जोर दिया।