भाकृअनुप-भामृजसंसं, अनुसंधान केंद्र, उ उधगमंडलम ने 14-12-2023 को तीन गांवों में एससीएसपी के तहत सहायक आजीविका विकल्प के रूप में उन्नत बैक यार्ड पोल्ट्री पालन के जागरूकता सह वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरान कर्नाटक के चामराजनगर जिले के गुंडलुपेट तालुक के 3 एससीएसपी द्वारा गोद लिए गए गांवों की एससी महिलाओं और एसएचजी लाभार्थियों को मुर्गीपालन के तरीकों, पोषण मूल्य, कम लागत वाली पोल्ट्री फ़ीड की तैयारी और आर्थिक लाभों के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम के दौरान 3000 मुर्गीया तीन गांवों, बेंडारावाड़ी, पासैहनापुरा और हंगलादाहोसहल्ली के 190 अनुसूचित जाति किसानों को पांच सप्ताह की उन्नत नस्ल के चूजों (गिरिराजा) का वितरण किया गया। कार्यक्रम का संयोजन एवं आयोजन डॉ. एस.एम. वनिता एवं डॉ. एच.सी. होम्बेगौड़ा, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा किया गया।
डॉ. एस.एम. वनिता ने सभी लाभार्थियों और ग्रामीणों का स्वागत किया और आजीविका में सुधार के लिए मुर्गीपालन के आर्थिक लाभों और सहायक आय सृजन में महिलाओं की भूमिका के बारे में जानकारी दी। तालुक पशु चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. कृष्ण कुमार ने चूजों की उन्नत नस्लों के पालन के माध्यम से कम मूल्य वाले अपशिष्ट खाद्य पदार्थों को उच्च मूल्य वाले पोल्ट्री मांस और अंडों में परिवर्तित करने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बैक यार्ड पोल्ट्री पालन के लिए बरती जाने वाली सावधानियों, नियमित टीकाकरण, उनके आहार और पोषण मूल्य के बारे में भी जानकारी प्रदान की। डॉ. होम्बेगौड़ा ने हाल के वर्षों में बैक यार्ड पोल्ट्री की आवश्यकता और बढ़ती मांग के बारे में बताया। कार्यक्रम के दौरान श्री सांगिली (तकनीकी सहायक) और सुश्री मनीषा (परियोजना सहायक) उपस्थित थे ।