हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के झंडूता गांव में अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए “सीमांत/भूमिहीन महिलाओं की आजीविका सुरक्षा में सुधार” विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन आईसीएआर-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र-चंडीगढ़ द्वारा किया गया। गांव में कई परिवार भूमिहीन हैं और वे दूसरों के खेतों में काम करके या दैनिक मजदूरी करके अपनी आजीविका चलाते हैं। कम लागत वाली आजीविका के विकल्प को बनाने के लिए 6 सितंबर, 2024 को पंचायत भवन-झंडूता में झंडूता के अनुसूचित जाति के परिवारों की महिलाओं के लिए सिलाई पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। चंडीगढ़ केंद्र के प्रमुख डॉ. बृज लाल लकारिया ने गोद लिए गए गांव में सीमांत/भूमिहीन महिलाओं को सिलाई मशीनें वितरित करने की योजना और प्रयासों पर प्रकाश डाला। झंडूता पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधिभी समारोह में शामिल हुए। डॉ. पंकज पंवार ने कार्यक्रम का समन्वय किया और प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर केंद्र के डॉ. ओ पी प्रेमी भी मौजूद थे। डॉ. पंवार ने बताया कि प्रशिक्षण एक प्रशिक्षित दर्जी द्वारा 30 दिनों तक प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण से न केवल परिवार के कपड़े सिलने में होने वाली बचत होगी, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं और बच्चों के कपड़े, बैग और अन्य सामान सिलकर पैसे भी कमाए जा सकेंगे। ग्राम प्रधान व उपप्रधान ने भी प्रशिक्षण के महत्व पर बात की और कहा कि आजीविका के लिए इसे जारी रखना चाहिए। इस अवसर पर अनुसूचित जाति समुदाय की महिलाओं को सहायक उपकरण के साथ 19 सिलाई मशीनें वितरित की गईं।