भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने 20/08/2023 को मृदा एवं जल संरक्षण एवं वाटरशेड विकास पर 125वें बैच के नियमित प्रशिक्षण “सर्टिफिकेट कोर्स” का समापन समारोह आयोजित किया । कार्यक्रम में प्रतिभागियों को चार महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए प्रमाण पत्र वितरण किया गया। छह अलग-अलग राज्यों से प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 29 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफेसर दुर्गेश पंत, महानिदेशक, उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट), देहरादून उपस्थित थे। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. लेखचंद ने कार्यक्रम की शुरुआत की है। कार्यक्रम की शुरुआत में, मुख्य अतिथि का स्वागत डॉ. एम. मधु, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून के माननीय निदेशक ने किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम निदेशक और एचआरडी और एसएस प्रमुख, डॉ. चरण सिंह ने 1955 से नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रगति को रेखांकित किया और उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने निदेशक आईआईएसडब्ल्यूसी की देखरेख में वैज्ञानिक संकायों के समर्पित कार्य और प्रशिक्षण के प्रतिभागियों की अंतर्दृष्टि को भी साझा किया। प्रशिक्षण पूरा करने का और मेरिट का प्रमाण पत्र प्रतिभागियों को माननीय मुख्य अतिथि और निदेशक, आईआईएसडब्ल्यूसी द्वारा वितरित किया गया था। प्रशिक्षुओं ने प्रशिक्षण कार्यक्रम पर बहुमूल्य प्रतिक्रिया भी दी।
कार्यक्रम निदेशक, भामृजसंसं द्वारा प्रेरणादायक भाषण के साथ जारी रहा, जिन्होंने मिट्टी और जल संरक्षण और खाद्य सुरक्षा पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभाव को उजागर किया। डॉ. मधु ने सभा के साथ मिट्टी और जल संरक्षण पर उपयोगी ज्ञान भी साझा किया।
प्रो. पंत ने इस प्रशिक्षण की उपयोगिता पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणी की। उन्होंने मिट्टी और जल संरक्षण के क्षेत्र में आईआईएसडब्ल्यूसी के प्रदर्शन और समर्पित कार्यों की सराहना की और प्रतिभागियों को उनकी उपलब्धि पर आशीर्वाद दिया और बधाई दी और उनके भविष्य के काम के लिए अंतर्दृष्टि दी। कार्यक्रम को डॉ अबिमन्यु झजरिया द्वारा दिए गए धन्यवाद के साथ समाप्त किया गया। यह चार महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम डॉ चरण सिंह (प्रमुख, एच आर डी और एस एस) द्वारा निर्देशित और अबिमन्यु झजरिया और डॉ. देवीदीन यादव (वैज्ञानिक, एग्रोनॉमी) द्वारा समन्वित किया गया। श्री सुरेश कुमार और श्री एम.पी. जुयाल इस प्रशिक्षण के तकनीकी समन्वयक थे। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए मानव संसाधन विकास और सामाजिक विज्ञान के सभी कर्मचारियों ने मदद की।