भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र,वासद ने १८ सितंबर, २०२४ को अंतर्राष्ट्रीय बांस दिवस का आयोजन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. जगदीश पाटील (वरिष्ठ प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा) थे। इस शुभ अवसर पर अनुसंधान फार्म के संवेदनशील क्षेत्र में स्पाइनी बांस (बंबुसा बम्बोस) के १००पौधे लगाए गए। आनंद कृषि विश्वविद्यालय,आनंद के लगभग ६० छात्रो ने,अपने शिक्षकों के साथ, और वासद केंद्र के २० कर्मचारियों ने बांस वृक्षारोपण किया। डॉ. पाटील ने छात्रों को संबोधित किया और इस बात पर जोर दिया कि तेजी से बढ़ने वाला पौधा होने के कारण बांस की मिट्टी और जल संरक्षण और जलवायु परिवर्तन शमन में महत्वपूर्ण भूमिका है। डॉ. एम.जे.कलेढोणकर, केंद्राध्यक्ष, भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र,वासद ने भी बांस पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि बांस बहुउद्देशीय पौधा है और कृषि आधारित उद्योग के लिए महत्वपूर्ण इनपुट हो सकता है। इसका उपयोग फर्नीचर, कागज निर्माण, ईंधन, जैव-ईंधन, हवाई अड्डे के निर्माण, मृदा जल संरक्षण, टूथब्रश आदि के लिए किया जा सकता है। इसमें प्लास्टिक की जगह लेने की क्षमता है। डॉ. दिनेश जिंजर, वैज्ञानिक (कृषि विज्ञान) और कार्यक्रम समन्वयक ने अंतर्राष्ट्रीय बांस दिवस पर अपने विचार साझा किए और इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों और किसानों से मां के नाम पर कम से कम एक बांस का पौधा लगाने का आग्रह किया।. डॉ. डी. दिनेश, वरिष्ठ वैज्ञानिक (मृदा विज्ञान) ने बताया कि बांस की पत्तियां वर्मीकंपोस्टिंग बनाने में उपयोगी होती हैं। उन्होंने अनुसंधान फार्म में खाद इकाई का दौरा किया। अंत में डॉ. नन्द कुमार एन., वैज्ञानिक (फल विज्ञान) ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया।