भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र, वासद ने 11-13 सितंबर, 2024 तक भाकृअनुप-- कृषि विज्ञान केंद्र, पंचमहल में पंचमहल जिले के लिए जनजातीय उपयोजना (टीएसपी) के तहत "प्राकृतिक कृषि पद्धति कौशल द्वारा आदिवासी महिला सशक्तिकरण " पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रो. आर. सुब्बैया, प्राचार्य एवं डीन, कृषि इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, एएयू, गोधरा ने किया। अपने मुख्य अतिथि के संबोधन में, डॉ. आर सुब्बैया ने जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों के तहत मिट्टी और जल संरक्षण उपायों और प्राकृतिक खेती प्रथाओं के संयोजन के महत्व पर जोर दिया। डॉ. ए.के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक और केंद्र के पूर्व प्रमुख (ए) ने कहा कि विभिन्न आयु समूहों के प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि प्रशिक्षण का प्रभाव लंबे समय तक बना रहे। 40 प्रतिभागियों को तीन दिनों के दौरान जीवामृत, घन जीवामृतम, नीमास्त्र और ब्रह्मास्त्र जैसी प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के बारे में प्रशिक्षित किया गया। वासद के वैज्ञानिकों की टीम (डॉ. गौरव सिंह और डॉ. नंद कुमार एन.), कृषि विज्ञान केंद्र, पंचमहल की प्रमुख डॉ. कनक लता और उनकी टीम (डॉ. शक्ति खजूरिया, डॉ. जे.के. जादव, श्री अभिषेक कुमार और श्री. वाई.एन.जादव) ने कार्यक्रम के सफल आयोजन में सहयोग रहा। डॉ. एम.जे. कलेढोणकर, केंद्राध्यक्ष, भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केन्द्र, वासद समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे और उन्होंने प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती के लाभों के बारे में जानकारी दी। नीमास्त्र से भरी बोतलें आदिवासी महिला किसानों को वितरित की गईं। डॉ. डी. दिनेश ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम समन्वयक के रूप में कार्य किया।