यह कार्यक्रम ICAR- भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (IISWC), देहरादून और भारतीय राष्ट्रीय युवा विज्ञान अकादमी (INYAS-INSA), नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में लगभग 110 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें 50 किसान (पुरुष और महिलाएं), 20 छात्र, 6 वैज्ञानिक और 34 तकनीकी एवं अन्य कर्मचारी शामिल थे, जो नवोन्मेषी कृषि प्रथाओं में अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए उत्सुक दिखे। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. एम. मधु, माननीय निदेशक, भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान, देहरादून की देखरेख में किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11:00 बजे डॉ. देवीदीन यादव, वैज्ञानिक (एग्रोनोमी), IISWC, देहरादून द्वारा मुख्य अतिथि और अन्य सम्मानित व्यक्तियों का स्वागत करने के साथ हुई। डॉ. यादव ने अपने प्रेरणादायक उद्घाटन भाषण में आधुनिक कृषि में नवाचार और कौशल विकास के महत्व को उजागर किया।
डॉ. डी.वी. सिंह, मृदा एवं सस्य विज्ञान विभाग के प्रमुख और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने मृदा और जल संरक्षण में अपने विस्तृत अनुभव को साझा किया। उन्होंने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में संस्थान द्वारा किये गए मृदा एवं जल संरक्षण के कार्यों के बारे में किसानों को बताया। उनके मृदा गुणवत्ता सुधार और किसानों के लिए कौशल संवर्धन पर विचारों को उपस्थितजनों द्वारा काफी सराहा गया।
डॉ. मीना कृष्णानिया चौधरी, वैज्ञानिक, NABI, मोहाली और INYAS की सदस्य ने किसानों और विद्यार्थियों को कृषि अवशेषों से विभिन्न उत्पाद तैयार करने और इससे अतिरिक्त आय उत्पन्न करने की क्षमता पर प्रेरणादायक जानकारियां दी। उन्होंने इन अवशेषों का उपयोग मशरूम की खेती और जैविक उर्वरक बनाने के लाभों को भी रेखांकित किया, जिससे सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है और फसल उत्पादकता में वृद्धि होती है।
डॉ. अरुण कुमार जुगरान, वैज्ञानिक, GBPNIHE, श्रीनगर और INYAS के सदस्य ने हिमालयी जैव विविधता संरक्षण और प्रबंधन पर अपने विशेषज्ञता साझा की। उन्होंने किसानों और छात्रों के लिए विज्ञान और नवाचार को बढ़ावा देने वाली कई सरकारी योजनाओं का उल्लेख किया, जो उनके विकास के लिए मूल्यवान संसाधन प्रदान करती हैं।
डॉ. एम. संकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक (मृदा) और फार्म के प्रभारी ने कृषि ड्रोन के उपयोग पर एक प्रदर्शन दिया, जिसमें इस आधुनिक तकनीक के कृषि संचालन में सुधार लाने की क्षमता को प्रदर्शित किया। इस तकनीक ने प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया और इसके व्यावहारिक उपयोगों जैसे कि सटीक खेती, फसल निगरानी, सिंचाई प्रबंधन और कीट नियंत्रण पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण डॉ. यादव द्वारा अदरक के कंदों को रोपने से पहले मैन्कोजेब फंगिसाइड से उपचार और मृदा में फंगस को कम करने के लिए मृदा में इसके प्रयोग पर एक व्यावहारिक प्रदर्शन था। इस सत्र को किसानों और छात्रों ने बहुत सराहा।
डॉ. अनुपम बढ़, वैज्ञानिक (प्लांट ब्रीडिंग), IISWC, देहरादून ने फार्म उद्यमों में कौशल वृद्धि पर महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उनके सत्र में मशरूम की खेती, विपणन रणनीतियों और फलदार पेड़ों की छंटाई और ग्राफ्टिंग तकनीकों को शामिल किया गया। इन व्यावहारिक जानकारी को छात्रों और किसानों द्वारा विशेष रूप से सराहा गया।
डॉ. दीपक सिंह, वैज्ञानिक (LWME), IISWC, देहरादून ने सत्र में कृषि उत्पादकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक मृदा और जल संरक्षण उपायों पर जानकारी दी। उन्होंने SCSP गांवों में सफल मृदा और जल संरक्षण उपायों जैसे खाई और मेड बंदी पर चर्चा की और उन्हें बनाए रखने के उचित तरीके समझाए।
डॉ. त्रिशा रॉय, वैज्ञानिक, IISWC देहरादून ने सभा को गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग के द्वारा मृदा गुणवत्ता में सुधार पर संबोधित किया। उन्होंने इनकी तैयारी विधियों और सही तरीके से उपयोग की महत्वपूर्ण जानकारी दी।
SCSP वैज्ञानिक टीम ने क्षेत्र में मशरूम खेती को बढ़ावा देने के लिए 600 मशरूम बैग वितरित किए और महत्वपूर्ण फसलों जैसे अदरक, टमाटर, आलू, गेहूं को कवक जनित रोगों जैसे राइजोम रॉट्स, ब्लाइट्स आदि से बचाने के लिए 300 पैकेट मैंकोजेब फंगिसाइड वितरित किए। यह कार्यक्रम SCSP किसानों और छात्रों के लिए विभिन्न पहलुओं पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा था।
कार्यक्रम का समापन डॉ. देवीदीन यादव के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जिसमें उन्होंने अतिथियों, वक्ताओं और सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन सकारात्मक नोट पर हुआ, और सभी उपस्थितों को कृषि प्रथाओं को सुधारने और कृषि में सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत सारी जानकारी और व्यावहारिक कौशल प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम को तकनीकी सहयोग श्री सीताराम, श्री मुदित मिश्रा, श्री रवि शंकर, श्री सुरेन्द्र शर्मा, श्री प्रमोद लवाटे, श्रीमती प्रियंका खंतवाल, श्रीमती बिद्या चानू, श्री मनीष सकलानी, श्री वरुण, श्रीमती मधु और श्री अजीत राणा द्वारा सफलता से आयोजित किया गया।