भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून द्वारा 10 से 12 मार्च 2025 तक जौनपुर एवं देवलसारी रेंज (मसूरी वन प्रभाग मसूरी) में वन कर्मचारियों के लिए तीन दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में वन विभाग के 25 कर्मचारी एवं वन पंचायत सदस्य जौनपुर रेंज से और 25 कर्मचारी एवं वन पंचायत सदस्य देवलसारी रेंज से उपस्थित रहे।
प्रशिक्षण के पहले दिन, उद्घाटन सत्र में डॉ. जगमोहन सिंह तोमर, विभागाध्यक्ष ने वृक्षारोपण, जलवायु परिवर्तन, आवारा पशुओं की समस्या, प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण और सामुदायिक जल संसाधन विकास पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने जल संरक्षण और भूमि क्षरण की रोकथाम के लिए वृक्षारोपण के महत्व को रेखांकित किया और स्थानीय जैव विविधता को सुरक्षित रखने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने लैंटाना जैसी आक्रामक प्रजातियों के प्रभावों पर चर्चा की और वन क्षेत्र में मृदा एवं जल संरक्षण की रणनीतियों को समझाया। डॉ. दीपक सिंह ने मृदा और जल संरक्षण के लिए चेक डैम, कंटूर ट्रेंच, स्टोन बोल्डर चेक और गेबियन संरचनाओं जैसी तकनीकों की व्याख्या की। उन्होंने इन संरचनाओं के व्यावहारिक उपयोग का प्रदर्शन भी किया, जिससे वन कर्मचारियों को इन संरचनाओं के निर्माण और उनके लाभों को समझने का अवसर मिला। इसके बाद डॉ. अनुपम बड़ ने मशरूम आधारित आजीविका विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बटन, ऑयस्टर, मिल्की और शिटाके मशरूम की खेती की तकनीकों, उनके पोषण संबंधी लाभों और आर्थिक महत्व के बारे में बताया।
प्रशिक्षण सत्र के दूसरे दिन, श्री राकेश कुमार ने मत्स्य पालन की विभिन्न तकनीकों जैसे कैप्चर फिशरी और फिश फार्मिंग पर चर्चा की। उन्होंने ट्राउट, कतला, रोहू और मृगल जैसी मछलियों की खेती, जल गुणवत्ता प्रबंधन और आधुनिक तकनीकों जैसे बायोफ्लॉक और पुनर्चक्रण जलीय कृषि प्रणाली के बारे में विस्तार से बताया। इसके बाद, इंजीनियर यू.सी. तिवारी ने जल संचयन संरचनाओं के महत्व और उनके निर्माण की तकनीकों पर जानकारी दी। उन्होंने वर्षा जल संग्रहण टैंक, कृत्रिम पुनर्भरण प्रणाली और फ़िल्टरिंग सिस्टम के उपयोग को जल संरक्षण और भूजल स्तर सुधार के लिए आवश्यक बताया। इसके बाद, डॉ. जयप्रकाश ने वन प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण और वन पुनर्जीवन की रणनीतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने मृदा एवं जल संरक्षण उपायों की आवश्यकता पर बल दिया और वन संसाधनों के सतत उपयोग की रणनीतियों को साझा किया। इसके अतिरिक्त, श्री रवीश सिंह ने नर्सरी प्रबंधन की उन्नत तकनीकों पर चर्चा की और वन प्रबंधन में ड्रोन के महत्व की भूमिका को विस्तार से बताया।
तीसरे दिन डॉ जे. एम. तोमर ने कैट प्लान के अंतरगर्त आने वाले किसानो को कृषि वानिकी पर आधारित समन्वित खेती प्रणाली अपनाकर किसानो की आजीविका बढ़ाने पर ज़ोर दिया व जे जयप्रकाश ने वन उत्पाद आधारित आजीविका सुरक्षा प्रबंधन पर जबकि डॉ अनुपम बड़ मशरूम की खेती के महत्व पर ज़ोर दिया व किसानो को कम्पोस्ट तैयार करने की विधि का प्रयोगात्मक प्रदर्शन करवाया । तत्पश्चात प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। डॉ. जे.एम.एस. तोमर ने सभी प्रशिक्षुओं को बधाई दी और उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने वन क्षेत्राधिकारी श्रीमती लतिका उनियाल, मसूरी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी श्री अमित कवर, उप प्रभागीय वनाधिकारी श्री दिनेश नौडियाल और भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून के निदेशक, डॉ. एम. मधु का भी धन्यवाद किया। कार्यक्रम का समापन डॉ. अनुपम बड़ द्वारा औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।