भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून द्वारा आयोजित एवं उत्तराखंड राज्य मत्स्य पालन विभाग के निदेशालय द्वारा प्रायोजित "उत्तराखंड में मत्स्य पालन प्रौद्योगिकियां और अवसर" विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का दिनांक फरवरी 09, 2024 को समापन। डॉ. एम. मधु, निदेशक, भाकृअनुप-भामृजसंसं के ने प्रमाण पत्र वितरित करते हुए प्रतिभागियों को मत्स्य संसाधनों, खेती और संरक्षण पर आवश्यक ज्ञान से अपडेट रहने के लिए बधाई दी।
डॉ. एम मुरुगानंदम, प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख (पीएमई और केएम) इकाई, भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान एवं पाठ्यक्रम के समन्वयक ने किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए उत्तराखंड में मत्स्य संसाधनों के साथ उपलब्ध विभिन्न प्रौद्योगिकियों और अवसरों को प्रस्तुत किया। मछली पालन की उन्नत तकनीकें जिनमें मछली का चारा, भोजन, तालाब निर्माण सिद्धांत, जल गुणवत्ता प्रबंधन, इनपुट उपलब्धता के स्रोत, ट्राउट खेती की क्षमता और एकीकृत कृषि प्रणाली और मॉडल शामिल हैं। मछली भोजन आपूर्ति और आजीविका के साधनों के लिए नदियों और जल संसाधन संरक्षण के महत्व के बारे में भी बताया गया।
डॉ चरण सिंह, प्रमुख, मानव संसाधन विकास एवं सामजिक विज्ञान विभाग, एवं डॉ पीआर ओजस्वी, प्रधान वैज्ञानिक (मृदा एवं जल संरक्षण अभियांत्रिकी ) ने किसान केंद्रित छोटे पैमाने पर जल संचयन और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के साथ वन संसाधनों के सहयोग पर विचार-विमर्श किया। डॉ. रमा पाल वरिष्ठ वैज्ञानिक (पर्यावरण विज्ञान) ने पानी की गुणवत्ता और अपशिष्ट प्रबंधन पर, डॉ. तृषा रॉय वरिष्ठ वैज्ञानिक (मृदा विज्ञान) ने मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर, डॉ. रमनजीत सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान) ने संसाधन संरक्षण के लिए कृषि संबंधी उपायों पर विशेष व्याख्यान दिए जिसमे प्रतिभागियों ने गहरी रुचि ली। श्री राकेश कुमार, मुख्य तकनीकी अधिकारी ने मछली पालन तकनीकों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कृषकों को साइट भ्रमण भी करवाया ।
डॉ. एम शंकर,वरिष्ठ वैज्ञानिक (मृदा विज्ञान), एवं प्रभारी अधिकारी, अनुसन्धान प्रक्षेत्र, सेलाकुई द्वारा विभिन्न कृषि प्रौद्योगिकियों के अलावा खेती में ड्रोन के उपयोग का प्रदर्शन किया । एर एसएस श्रीमाली. वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. सादिकुल इस्लाम, वैज्ञानिक, श्री सुरेश कुमार, मुख्य तकनीकी अधिकारी, इं अमित चौहान, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी, श्री एचएस भाटिया, तकनीकी अधिकारी, एवं डॉ लावटे प्रमोद उल्हास, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, भाकृअनुप-भामृजसंसं एवं राज्य मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों ने भाकृअनुप-भामृजसंसं, देहरादून के सेलाकुई अनुसंधान प्रक्षेत्र में प्रतिभागियों को ज्ञान प्रदान किया और मछली हैचरी, ढकरानी में एवं संस्थान के संग्रहालय में मौजूद विभिन्न अवधारणाओं, फील्ड मॉडल और प्रणालियों पर भी चर्चा की।
प्रशिक्षण कार्यक्रम से चमोली, बागेश्वर और देहरादून के कुल 52 किसान प्रशिक्षु लाभान्वित हुए। अंत में किसान प्रतिभागियों ने आयोजक की सराहना की और निरंतर सहयोग का अनुरोध किया। उत्तराखंड के बाकी जिलों के किसानों के लिए 14-18 फरवरी 2024 और 5 से 9 मार्च 2024 के दौरान ऐसे दो और बैचों की भी योजना बनाई जा रही है, जिन्हें उत्तराखंड राज्य मत्स्य पालन विभाग, देहरादून द्वारा प्रायोजित किया गया है। यह कार्यक्रम विभाग की जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) योजना के प्रावधान के अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है।