भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने नियमित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (127वें बैच) का समापन समारोह आयोजित किया। भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने 21 अगस्त, 2024 को 127वें बैच के नियमित प्रशिक्षण “मृदा एवं जल संरक्षण तथा वाटरशेड प्रबंधन पर प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम” का समापन समारोह आयोजित किया। इस कार्यक्रम में 22 अप्रैल से 21 अगस्त 2024 तक चलने वाले चार महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले अधिकारी प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में असम, केरल, पंजाब, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश से कुल 22 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री विनय कुमार, आईएफएस, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और (डीडीजी (प्रशासन)-सह-निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, आईसीएफआरई) उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत में माननीय मुख्य अतिथि का स्वागत भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान देहरादून के निदेशक डॉ. एम. मधु ने किया। श्री विनय कुमार, आईएफएस, डीडीजी (प्रशासन) ने देश के भीतर और बाहर आयोजित प्रशिक्षणों के बारे में अपने अनुभव साझा किए और अधिकारी प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान सक्रिय रूप से सीखने पर जोर दिया, ताकि इसका उनके संबंधित डोमेन क्षेत्रों में बेहतर उपयोग किया जा सके। उन्होंने लाइन विभागों के लिए इस प्रशिक्षण की उपयोगिता पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां कीं। उन्होंने प्रशिक्षुओं को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी और उनके भविष्य के कार्यों के लिए अंतर्दृष्टि दी। संस्थान के निदेशक डॉ एम मधु ने कहा कि अधिकारी प्रशिक्षु संस्थान के राजदूत हैं और उन्हें 4 महीने के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान सीखी गई बातों को लागू करना चाहिए। डॉ चरण सिंह, पाठ्यक्रम निदेशक और प्रमुख, एचआरडी एंड एसएस ने मुख्य अतिथि के बारे में जानकारी दी और सभी का स्वागत किया। उन्होंने 1955-56 से अब तक नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रगति को रेखांकित किया और प्रशिक्षण रिपोर्ट और उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन डॉ अभिमन्यु झाझरिया द्वारा दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का निर्देशन डॉ. चरण सिंह (प्रमुख, एचआरडी एंड एसएस) द्वारा किया गया तथा इसका समन्वयन डॉ. इंदु रावत (वरिष्ठ वैज्ञानिक) और डॉ. अभिमन्यु झाझरिया (वैज्ञानिक, कृषि पारिस्थितिकी) द्वारा किया गया। डॉ. लेख चंद (प्र. वैज्ञानिक), डॉ. मातबर सिंह राणा (वरिष्ठ वैज्ञानिक), श्री अनिल कुमार चौहान, श्री सुरेश कुमार (सीटीओ), श्री धर्मपाल, (टी-1), श्री सोनू (टी-1) और श्री कमल किशोर (एसएसएस) के अथक प्रयासों से प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।