भा.कृ.अनु.प.-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसन्धान केंद्र-वासद द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (न.रा.का.स.), आणंद के तत्वाधान में 26 जुलाई, 2024 को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस-2024 के अवसर पर हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के अंतर्गत “प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर सतत जीवन जीना” के विषय पर संक्षिप्त हिंदी भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें आणंद नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अंतर्गत विभिन्न केंद्रीय सरकारी कार्यालयों के कर्मचारियों ने उत्साह के साथ भाग लिया । कार्यक्रम की शुरुआत समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. मनीष दास, निदेशक, भा.कृ.अनु.प.-औषधीय एवं सगंधीय पादप अनुसंधान निदेशालय, बोरियावी, आणंद, गुजरात को पुष्पगुच्छ और सम्मान के प्रतीक के रूप में शॉल देकर स्वागत किया गया । डॉ. जगदीश पाटील, मुख्य प्रबंधक और अग्रणी जिला प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा, आणंद को आणंद नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष द्वारा विशिष्ट अतिथि के रूप में नामित किया गया था एवं उन्हें पुष्पगुच्छ और सम्मान के प्रतीक के रूप में शॉल देकर स्वागत किया गया । डॉ. पी. बालामुरुगन, आणंद नगर की राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सदस्य सचिव को भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने हेतु पुष्पगुच्छ और सम्मान के प्रतीक के रूप में शॉल देकर स्वागत किया गया । कार्यक्रम में ऑनलाइन उपस्थित श्री आशुतोष कुमार तिवारी, उप निदेशक, (राजभाषा), भा.कृ.अनु.प.-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून का भी स्वागत किया गया । डॉ एम. जे. कलेढोणकर, केन्द्राध्यक्ष, भा.कृ.अनु.प.-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र-वासद एवं केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक और पूर्व केन्द्राध्यक्ष डॉ. ए. के. सिंह का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया । आणंद नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के तहत उपस्थित विभिन्न केंद्रीय सरकारी कार्यालयों के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का भी स्वागत किया गया । मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की । डॉ एम. जे. कलेढोणकर, केन्द्राध्यक्ष, भा.कृ.अनु.प.-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र-वासद आणंद नगर की राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सदस्य सचिव डॉ. पी. बालामुरुगन ने प्रकृति के साथ सामंजस्य और स्थिरता हेतु संसाधनों के कम उपयोग के साथ सरल जीवन के महत्व पर प्रकाश डाला । श्री आशुतोष कुमार तिवारी, उप-निदेशक, (राजभाषा), भा.कृ.अनु.प.-भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने भी राजभाषा के कार्यान्वयन के संबंध में विभिन्न नियमों और विनियमों के बारे में एक ऑनलाइन प्रस्तुति दी । बैंक ऑफ बड़ौदा, आणंद के मुख्य प्रबंधक और अग्रणी जिला प्रबंधक डॉ. जगदीश पाटील ने व्यक्ति के जीवन में प्रकृति के महत्व और धरती माता की सुरक्षा में प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी और सभी के लिए एक पृथ्वी की अवधारणा पर प्रकाश डाला । भा.कृ.अनु.प.-औषधीय एवं सगंधीय पादप अनुसंधान निदेशालय, बोरियावी, आणंद , गुजरात के निदेशक डॉ. मनीष दास ने याद दिलाया की कोरोना महामारी के दौरान देशवासियो ने जीवन की रक्षा करने के लिए प्राकृतिक औषधी पर विश्वास किया । उन्होंने कहा की भारतीय जीवन शैली प्रकृति के साथ पूरा सामंजस्य रखती है । पश्चिमी जीवन शैली के प्रभाव के कारण हम प्रकृति से थोड़े दूर गए है । लेकिन भारतीय योगाभ्यास व आयुर्वेद में देश की रुचि बढ़ रही है । उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से हमारे ग्रह को हरा-भरा और स्थायी रूप से रहने के लिए स्वस्थ बनाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने का भी आग्रह किया । आणंद नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अंतर्गत विभिन्न केंद्रीय सरकारी कार्यालयों के कर्मचारियों के बीच " प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर सतत जीवन जीना" विषय पर संक्षिप्त भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई । इस अवसर पर, कार्यक्रम में महाराष्ट्र के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के एक महीने के प्रशिक्षण पर आये छात्र-छात्राओं ने भी भाग लिया और उन्होंने हिंदी कार्यशाला के तहत आयोजित संक्षिप्त भाषण प्रतियोगिता में भी भाग लिया । कार्यक्रम में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, रेलवे, डाकघर, आयकर विभाग, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आदि जैसे आणंद में केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यालयों के कर्मचारियों ने भाग लिया । कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. गौरव सिंह, प्रभारी अधिकारी (राजभाषा), भा.कृ.अनु.प.--भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र-वासद, आणंद द्वारा किया गया था । आणंद के विभिन्न केंद्रीय सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी और केंद्र के सभी कर्मचारियों के सहयोग से केंद्र में कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया ।