दिनांक 18 फरवरी 2021 को भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून एवं प्रभागीय वन अधिकारी भूमि संरक्षण कालसी के संयुक्त तत्वाधान में प्राकृतिक संसाधनों से किसानों की आय में वृद्धि हेतु तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया । कार्यशाला के अंतर्गत भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान देहरादून के कार्यक्रम निदेशक डॉ. जगमोहन सिंह तोमर ने जलागम क्षेत्र में स्थित गांव डीडाल बागी बिनहार और लोहारी के किसानों की आय में वृद्धि हेतु कृषि वानिकी व मृदा एवं जल संरक्षण से संबंधित जानकारी दी एवं बंजर भूमि पर बागवानी के अतिरिक्त बांस व लेमन घास की खेती पर बल दिया । इससे आसपास के वातावरण में सुधार होने के साथ-साथ आय में भी वृद्धि होगी । कालसी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी श्री एसपी शर्मा ने कैट योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्यों का विवरण दिया व किसानों को संगठित होकर सहभागिता से कार्य करने पर जोर दिया । इस अवसर पर संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. इंदु रावत ने महिलाओं का जीवन स्तर उठाने के लिए खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन से आय वृद्धि के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला । उप प्रभागीय वन अधिकारी श्री बीडी सकलानी भी उपस्थित रहे । संस्थान के ही वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी श्री जेएस देशवाल ने किसानों को जैविक खेती के बारे में बताया व कहा कि केंचुआ खाद द्वारा किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं । इसी क्रम में इंजीनियर यूसी तिवारी ने मृदा एवं जल संरक्षण में प्रयुक्त विभिन्न अभियांत्रिकी संरचनाओं से मृदा एवं जल संरक्षण पर विस्तार से बताया । इस दौरान चार गांव के 50 से अधिक किसानों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया । महावीर सिंह , दिनेश सिंह बहादुर , शर्मिला देवी , चंदा देवी आदि किसान मौजूद रहे ।
दिनांक 20 फरवरी 2020 को तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ । कार्यक्रम समन्वयक डॉ. जे एम एस तोमर, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान ने किसानों को तीन दिवसीय कार्यशाला संपन्न होने पर बधाई दी । इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में संस्थान के विशेषज्ञों डॉ. राजेश कौशल, डॉ. इंदु रावत, डॉ. देवीदीन यादव, प्रमोद कुमार, सुरेश कुमार, राकेश कुमार, रविश सिंह (तकनीकी सहायक) एवं दिग्विजय सिंह चौहान द्वारा किसानों को जानकारी प्रदान की । जिसके मुख्य विषय थे कृषि वानिकी पर आधारित समन्वित कृषि प्रणाली,आजीविका सुधार के लिए कृषि आधारित प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन, सिंचाई के तरीके जैसे टपक विधि से सिचाई, सहभागिता द्वारा प्राकृतिक संसाधन प्रवर्धन, मधुमक्खी पालन, वर्मी कंपोस्ट बनाना, मत्स्य पालन, मशरूम उत्पादन, ग्रीष्मकालीन सब्जियों की खेती विषय के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की । इसके अतिरिक्त किसानों की समस्याओं के संबंध में सुझाव दिए कैट परियोजना चुरानी रेंज के अंतर्गत सुष्य जलागम क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारी उप प्रभागीय वन अधिकारी श्री बीड़ी सकलानी जी द्वारा दी गई । जो इस कार्यशाला में मौजूद रहे उन्होंने किसानों को सहभागिता से कार्य करने की बात कही । साथ ही वन क्षेत्राधिकारी चुरानी रेंज श्री आनंद सिंह रावत भी उपस्थित रहे । कार्यक्रम के अंत में डॉ. राजेश कौशल, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान द्वारा ग्रामीणों को धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया गया । कार्यशाला में 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया । बहादुर सिंह, सुरेंद्र वर्मा, मोहन सिंह, महावीर, संसार, पूर्णिमा देवी, दब्बू देवी, सुनीता चौहान, चंदा देवी, शर्मिला, रोशनी आदि किसान मौजूद रहे ।