जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के तहत, भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल सरंक्षण संस्थान देहरादून के द्वारा डॉ वाई. एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, सोलन में “सेब और अखरोट के संदर्भ में नर्सरी प्रबंधन एवं शीतोष्ण फल उत्पादन” विषय पर पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में 15 किसानों के समूह ने 18 से 22 दिसंबर, 2023 तक भाग लिया, जिसमें नर्सरी प्रबंधन और शीतोष्ण फल उत्पादन के बारे में जानकारी प्रदान की गई।
पूरे प्रशिक्षण के दौरान, विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित संकाय सदस्यों ने "नर्सरी प्रबंधन और शीतोष्ण फल उत्पादन" के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिए। फसल बीमा योजना, पोषक तत्व और मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन, बगीचों में श्री अन्न की अंतरफसल, पॉली हाउस में नर्सरी पौधों का उत्पादन, प्राकृतिक खेती का महत्व, महत्वपूर्ण बीमारियां और उनका प्रबंधन, मधुमक्खी पालन, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, बागों में फूलों की अंतरफसल, बाग प्रबंधन, प्रशिक्षण और छंटाई, बागों में एक अंतरफसल के रूप में सब्जी उत्पादन और उच्च आय प्राप्ति के लिए प्रसंस्करण आदि विषयों पर व्याख्यान शामिल किए गए।
प्रशिक्षण को व्यावहारिक आयाम प्रदान करने के लिए, विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए कृषि विज्ञान केंद्र कंडाघाट और क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान और प्रशिक्षण स्टेशन, मशोबरा का दौरा आयोजित किया। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पी.के. बवेजा ने विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वय किया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वयन संस्थान के निदेशक डॉ. एम मधु और टी.एस.पी/एस.सी.एस.पी समन्वयक डॉ. एम मुरुगानंदम के सक्रिय मार्गदर्शन में टीम लीडर डॉ. रमन जीत सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक और डॉ. अभिमन्यु झाझड़िया, वैज्ञानिक ने किया। श्री के. आर. जोशी, ए.सी.टी.ओ, सोलन (हिमाचल प्रदेश) में किसानों के साथ गए और प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रभावी ढंग से समन्वय किया।